तुम्ही हो
तुम्ही हो
तुम्ही तो हो प्रिय जो मेरे,
दिल में ही बसती हो,
हर पल नए ख्वाब दिखाती हो,
हर पल नई रचनाएं रचती हो।
कभी विरह में सिसकती तो ,
कभी खुशियों में खिलखिलाती हो,
कभी अपनी सी लगती हो ,
तो कभी पराई बन जाती हो।
तुम्ही तो साथ हर पल निभाती हो,
तुम्ही तो मेरी असली महबूबा हो ,
एक बार दीदार करा दो अपना ,
अब कितना तरसाओगी ।

