और यह तन्हाई हो।
और यह तन्हाई हो।
रब ने एक शाम कुछ इस तरह बनाई हो
एक मैं हूं एक तुम हो और ये तन्हाई हो।
तुम मेरे साथ चलो नभ में ऊंचे उड़ के।
जहां पर चांद हो तारे हो और तन्हाई हो।
मैं तुम्हें देखता रहूं और तुम बस मुझे देखो।
मेरे चेहरे पर तेरी जुल्फों की घटा छाई हो।
न मैं कुछ बोलूं और न ही तुम कुछ कहना।
खामोश नजर से दस्ताने इश्क सुनाई हो।
चलो क्षितिज में जहां ख्वाब हकीकत से मिले
जहां बहारों ने महफिलें प्यार की सजाई हों।

