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Dheeraj Srivastava

Romance Tragedy

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Dheeraj Srivastava

Romance Tragedy

पानी लिख गया

पानी लिख गया

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शाम बेशक दिल जलाती,पर सुहानी लिख गया।

बेवफा के प्यार को मैं ज़िन्दगानी लिख गया।


कौन बैठा हँस रहा था मोगरे के फूल पर

नाम जिसके नींद अपनी औ' जवानी लिख गया।


ख़्वाहिशों ने साँस उनकी जब कभी महसूस की

छोड़कर मैं गुल सभी बस रातरानी लिख गया।


कल लुटाये थे जो हमने 'चाँदनी' की याद में

अश्क के उन मोतियों को वक्त पानी लिख गया।


ले गया तो क्या हुआ अहसास मीठे छीनकर

दर्द की लेकिन मेरे दिल पे निशानी लिख गया।


क्यों किया था दिल्लगी,अंजाम पर अफसोस है

झूठ सारी बात थी पर मैं कहानी लिख गया।


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