रूह बँधी मेरे यार से
रूह बँधी मेरे यार से
तुम देखो मुझे कभी प्यार से
मुक्ति मिले बोझिल संसार से..
खुशी से कुर्बान हो जाऊँ मैं-
भुजपाश में लो अधिकार से..
ग़र हाथ मेरा हो तेरे हाथ में
नहीं डरती मैं किसी प्रहार से..
जीत लेते हो मुझको मुझसे
तब खुशी मिले मुझे हार से..
लोक-लाज सब भूल सखे
जीती हूँ तेरे दिए करार से..
दर्पण बन 'आईना' निहारें
मेरी रुह बँधी मेरे यार से.

