बिजली सी गिर गयी मुझ पर
बिजली सी गिर गयी मुझ पर
जब जब रूप बदलते देखा
मनु से मनु को छलते देखा
अपनों के मुख में गैर मिले
तब बिजली सी गिर गई मुझपर..
जब हालातों ने करवट ली
जब छायी दुःख की बदली
जब धोखा खाया अपनों से
तब बिजली सी गिर गई मुझ पर..
जब जब बेड़ी बांधी पैरो में
जब माँ तात भी हुए गैरों में
जब भीषण तन्हाई गूँजें उर
तब बिजली सी गिर गई मुझ पर
जब कटुता है मिली रागों में
जब विष दिखा निज नागों में
जब भी अपना ही साया रूठा
तब बिजली सी गिर गई मुझ पर..