पक्की सियांही
पक्की सियांही
पक्की सियांही से लिखेंगे तुम्हारी कहानी
की हो जाये आग से जुदा खोलता पानी।
नसों में जो जम गया है तुम्हारा लाल खून
की आ जाए उसमे उबाल बोले जवानी ,
पक्की सियांही से लिखेंगे तुम्हारी कहानी ।
फिर न कभी होगी रुस्वाई तेरी दीवानी
की गिरेगा अम्बर से आब-ए-चश्म बनकर पानी ,
पक्की सियांही से लिखेंगे तुम्हारी कहानी ।

