बेजुबाँ होके भी
बेजुबाँ होके भी
कुछ तो बात होगी,
आँखो से आँखोकी ,
वरना यूँही नही ढाती कहेर,
झंझोडके रख देती है,
रुहको बेजुबाँ होके भी ...
निंदे उडा जाती है,
कसक दिल में होती है,
दर्द उठता है सीने में यूँ,
मिलने की चाह बढ जाती है,
एक वही तो नही है दुनियाँमे पर,
आँखे सिर्फ बात उससे ही करती है,
वरना यूँही नही ढाती कहेर,
झंझोडके रख देती है,
रुहको बेजुबाँ होके भी ...
जब मिलती है,
नजरो सें नजर,
जमाने का डर नही है,
शोर मचाती है इतना,
सून ना लें कोई डर लगता है,
मिठी मिठी सी इस चुबन में भी,
खुशी दिल को मिलती है,
ओठ दिये है लफ्जों को लेकीन,
ये दिल से दिल की बात करती है,
वरना यूँही नही ढाती कहेर,
झंझोडके रख देती है,
रुहको बेजुबाँ होके भी ...