यारों की महफिल
यारों की महफिल
चलो फिर कहीं यारो की महफिल जमा लेंं
भूल जाएं एक दिन के लिए सौ की गिनती।
चलो यारों का सिखाया उलटा पहाडा फिर से गा लेंं ,
चलों फिर कहीं यारो की मेहफिल जमा लेंं।
चलो फिर कहीं जा बैठे मुस्कुराने के लिए
चलों फिर कहीं यारो की महफिल जमा लें ।
एक साल और जिंदगी का कम हुआ
चलो फिर इस खुशी में, यारों को फिर बुला लें,
चलों फिर कहीं यारों की मेहफिल जमा लें ।
चलो जिंदगी के सुनहरे पलो को भुना लें
तोड़ कर मुर्गे की तांग, गिलासों को टक्कराकर
चलो यारी की किताब का एक पन्न और बढ़ा लें।
चलों फिर कहीं यारो की मेहफिल जमा लें
भूल जाएं एक दिन के लिए सौ की गिनती,
चलो यारों का सिखाया उलटा पहाडा फिर से गा लें ।
तनहा शायर हूँ।
