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Tanha Shayar Hu Yash

Drama Tragedy Classics

4  

Tanha Shayar Hu Yash

Drama Tragedy Classics

अफसाना

अफसाना

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अफसाना 

 मैंने एक अफसाना पढ़ा- देखा,
जब नज़र भरके ज़रा-देखा ।
 तुम्हें ही सामने खड़ा पाया,
 हर दफ़ा जब ख्वाबों को खुला देखा।

 अभी तुम सो रहे हो आँखों में,
मैंने तब शहर-ए-जवाँ- देखा;
और सुबह जब तुमने आँखे खोलीं,
मैंने किरणों को तुममें रमा देखा।

 तेरे दामन से लिपटते रहे हम,
ख़ाबिदा—तुमने धुआँ कहाँ देखा;
अश्क बह गए दरिया बनकर,
सागर ने नदियों का कारवाँ देखा।

 तनहा शायर हूँ - यश


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