कहते है
कहते है


वो कहते है
उड़ाकर नींद आँखों की
दिखाकर ख्वाब दिन में
वो कहते है
तुम हमें याद आते नहीं
हमें तुम याद आते नहीं।
जो कड़ी धुप में तपकर रहते है
छाँव भी धक्कर वो कहते है
ये प्यास अब जाती नहीं
कोई बूँद भी आती नहीं।
हमारी सोच से चलकर
हमारी धड़कनें बदलकर
वो कहते है
अब तमन्ना मचलती नहीं
ये आरज़ू में ढलती नहीं।