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Praveen Kumar Saini "Shiv"

Romance

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Praveen Kumar Saini "Shiv"

Romance

तेरा आमंत्रण स्वीकार

तेरा आमंत्रण स्वीकार

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तेरे भीगे हुए लबों का

तेरी टपकती हुई लटों का

तेरे नशीले नयनों का

तेरे डिंपल पड़ते गालों का

तेरे उभरे हुए ऊरोजों का

तेरे मखमल से मुलायम

भीगती हुई कमर का

तेरे सुडोल नितंबों का

तेरे छलकते यौवन का

तेरे सुंदर सुंदर हिरणी से

दो चमकते पेरों का

तेरे भीगे बदन से टपकती आग का

तेरे हर अंग से आते प्रेम क्रिडा़ का

आमंत्रण हमने स्वीकार किया

तेरे हर एहसास का

आमंत्रण हमने स्वीकार किया ।।



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