आत्मीयता का बोध होना ही प्रबल है ! कीचड़ के मध्य ही खिलता कमल है। आत्मीयता का बोध होना ही प्रबल है ! कीचड़ के मध्य ही खिलता कमल है।
क्या करना है उसका प्लान बनाने लगा। क्या करना है उसका प्लान बनाने लगा।
नींद नहीं आती, गिन गिन कर तारों को करवटें बदलकर सोयें, फैला चाँदनी का आँचल। नींद नहीं आती, गिन गिन कर तारों को करवटें बदलकर सोयें, फैला चाँदनी का आँचल।
कठिनाई से सहानुभूति रखने का आह्वान। कठिनाई से सहानुभूति रखने का आह्वान।
यूँ लगता तुम यहीं कहीं हो पाने की चाहत जागी है। यूँ लगता तुम यहीं कहीं हो पाने की चाहत जागी है।
हम सावधानी बरते, वरना हमारी लापरवाही उसे फिर से आने का निमंत्रण दे सकता है ! हम सावधानी बरते, वरना हमारी लापरवाही उसे फिर से आने का निमंत्रण दे सकता है !