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Ajay Pandey

Romance

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Ajay Pandey

Romance

चांद छूने की चाहत

चांद छूने की चाहत

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निशा निमंत्रण दे रही,मन में भरे उजास

काहे को अब देर है, चंदा अपने साथ।


चंदा को छूने की चाहत

दिल में लेकर जगती हूँ,

आधी हूँ मैं पूरी कर दो

राह तुम्हारी तकती हूँ।


चंदा के चमकीले उजास

शीतलता भी है पास पास

पर तुझको छूने की चाहत

में न सोती न जगती हूँ।


मधुर स्मृतियों की चादर

पलकों को चमकाती हैं

तुम्हारे वो कोमल स्पर्श

मन को आज लुभाती है।


चाँद का वो रूप सलोना

आंखों में यूं भर आया था

तुम्हारे आलिंगन में जैसे

चांद उतर कर आया था।


पुनः आज मधुमास की चाहत

इस व्याकुल मन में जागी है

यूँ लगता तुम यहीं कहीं हो

पाने  की  चाहत  जागी  है।


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