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Swapnil Saurav

Comedy

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Swapnil Saurav

Comedy

दोस्त की शादी में मेरी हालत

दोस्त की शादी में मेरी हालत

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हैं कुछ दिनों पहले की ये बात 

एक दोस्त का फ़ोन आया था उस रात 

बताई उसने खुश होके ये बात 

लेने वाला था वो फेरे सात 

कैसे समझाता मैं उसके अपने मन की बात 

शादी है शादी 

नहीं है इसमें कोई खुश होने वाली बात।


सोचा शादी की सच्चाई सुनके 

हो न जाये उसका बुरा हाल 

अच्छी खासी चल रही है लाइफ उसमें 

हो न जाये कोई बवाल 

बस यही सोचकर, चुप ही रहा 

दबा लिया अपने ख्याल 

बातें चली कुछ देर 

जाने हमने एक दूसरे का हाल।


शादी थी एक महीने के बाद 

निमंत्रण दिया था उसने

आने को प्रायागराज 

जाना तो था ही,

देने को उसको मुबारकबाद 

मन खुश था की एक और दोस्त का

घर हो रहा था आबाद 

डर भी था की कहीं अपनी ज़िन्दगी 

कर न रहा हो बर्बाद। 


खैर साहब सबको अपनी ज़िन्दगी है निभानी 

लाइफ उसकी है, भला हमें क्यों हो परेशानी 

दोस्ती भी थी हमारी कई साल पुरानी 

जाना तो कैसे भी था,

नहीं चलती कोई आनाकानी 

जाने का टिकट भी थी कटानी 

बॉस से छुट्टी की बात भी थी मनानी 

प्रायागराज जाने की तैयारी थी अब करनी 

बस यही से शुरू होती है मेरी ये कहानी !


शादी में बनते है कई तरह के पकवान 

और बारात तो होते है स्पेशल मेहमान 

रात भर करवटे बदलते रहे 

बस यही सोचते रहे 

शादी में कुछ तो करना नहीं 

बस खाओ पीयो और बढ़ाओ अपनी शान 

घूमो और देखो वह के सारे दार्शिनीय स्थान 

पर दिमाग में तो सिर्फ घूमता रहा 

गुलाब जामुन, लड्डु , कुल्चा और बटर नान। 


आखिर सुबह हुई , जल्दी से उठा मैं सो कर 

और निकल पड़ा रेलवे स्टेशन

की तरफ होकर तैयार

गर्मी छुट्टी होने वाली थी 

गाड़ियों में भीड़ भी बढ़ने वाली थी 

इसलिए रिजर्वेशन नहीं मिलने का

पहले से ही सता रहा था डर। 


भागा भागा पहुंचा रिजर्वेशन काउंटर 

देखा, वहां तो था लोगो का समंदर 

आये थे वें   साथ लेकर अपने लव लश्कर 

गेट खुलते ही हुई धक्कम मुक्का 

देखते ही रह गया मैं हक्का बक्का 

मैं भी पीछे हटा नहीं, रहा डटा 

इरादा कर लिया था एकदम पक्का। 


मौका मिलते ही लगाई छलांग 

काबू में करने को इलाका 

मैंने दाएँ से मारा चौक्का 

तो बाएँ हाथ से मारा छक्का 

सुपरमैन बन बढ़ता रहा

एकदम भागते  भागते 

और आखिर पहुँच ही गया

काउंटर पे सबसे आगे। 


सबसे पहले सीधा किया

टेढ़ी हुई थी जो अपनी गर्दन 

पर्ची लिखा और आगे बढ़ा दिया 

अपना आवेदन

 किस्मत भी थी अपनी अच्छी 

सीट मिली वो भी पक्की। 


टिकट हाथ में आते ही मन ही मन मुस्कुराने लगा 

शादी में मेहमान नवाज़ी का लुफ्त उठाने लगा

 फिर समझाया अपने आप को 

अभी तो महीना पड़ा है,

जाने को खुशी ख़ुशी घर आया 

क्या करना है उसका 

प्लान बनाने लगा। 


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