Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

शिद्दत

शिद्दत

1 min
519


ये जो ढीली शर्ट और जीन्स पहन के निकलते हो तुम 

ये जो बगल में किताब और बास्ते में

कहानियां ले कर चलते हो तुम 

ये जो सफ़ेद से बाल दिख जाते हैं कभी 

ये जो गुमसुम से दिखाई पड़ते हो अभी 


ये जो मोबाइल में झांकते रहते हो दिनभर 

ये जो यारों को हसाते रहते हो अक्सर 

ये जो अकेले रहने से डरते हो तुम 

ये जो अतीत को याद करते हो तुम 


ये जो सफ़ेद दीवारें हैं 

ये जो शोर भरे सन्नाटे हैं 

ये जो कलम की नोक पे हिचक की सियाही है 

ये जो दबी दबी सी मुसकाम तुम्हारी है 


तो क्या हुआ जो तुम्हारी कोई सुनता नहीं 

क्या हुआ अगर कोई अपने जैसा लगता नहीं 

तो क्या हुआ अगर सब रास्ते तल्ख़ ही मिले 

और क्या हुआ जो तुझसे रहतें हैं गीले 


मुसाफिर जान तू इतना, इनायत पायी जाती है 

मयस्सर यु ही नहीं होती तबस्सुम कमाई जाती है 

नूर तेरी भी आँखों में है दीखता मुझे अक्सर 

तू जान तो खुद को, समुन्दर भी समाया है 

कई तूफ़ान भी हैं अंदर, जिन्हे तू भूल आया है.


रहे ही नहीं होतीं अगर मुश्किल ए मेरे इश्क़ 

तो रहता यही गुमसुम तू खुशियों के भी आने पर 

की साथी जान तू इतना की कीमत है जो हर पल की 

हूँ न मिलती है साहिब फिर, आंसू भी बहाने पर।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract