आत्मीयता
आत्मीयता
नए जमानों के साथ
हमें चलना होगा !
कदम आखिर हमको
मिलाना होगा !
समाज सीमित परिधिओं
में नहीं रहा !
हमारा दिन-प्रतिदिनों का
दायरा बढ़ता रहा !
निमंत्रण पत्र को दरवाजे पर
फ़ेंक देते हैं !
ईमेल, व्हात्सप और मैसेस
भेज देते हैं !
प्रीति-भोज का जमाना है
अब कहाँ ?
प्रेम से सबको खिलाना
अब कहाँ ?
अब तो बुफे सिस्टम का
युग आ गया !
लंगर सिस्टम ही
सबको यूँ भा गया !
इस दौर में लगता है
सब कुछ पा लिया !
हमने भी प्रतिष्ठा के गगन
को छू लिया !
आत्मीयता का बोध
होना ही प्रबल है !
कीचड़ के मध्य ही
खिलता कमल है।।
