मेरा दिल जानी
मेरा दिल जानी
मेरी रुह को एक मकान चाहिए,
बिकता हो जहाँ प्यार वो दुकान चाहिए,
प्यार की मिठास से भरे बनाये पकवान,
ऐसा खानसामा चाहिए
मोहब्बत के खिलते जिस पर फूल,
ऐसा एक बगीचा चाहिए,
कभी ना हो जिस घर मे कलेश
कोई ऐेसा गृहप्रवेश चाहिए,
जीते जी ना हो अलग कभी, ना हो
बेवफाई कोई ऐसा दिलदार चाहिए,
दर्द हो उसे पर आंख मेरी रोये
ऐसे आंख वाला आंसू चाहिए,
बिन बोले समझ ले मुझे,
ऐसा दिलदार चाहिए,
मेरी बेरुखी मे भी मेरा प्यार ढुंढ ले
ऐसा दिल जानी चाहिए,
मेरे गुस्से मे छिपी चिंता को समझ ले
ऐसा दिल जानी चाहिए,
मेरी रुह को एक मकान चाहिए।।

