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VanyA V@idehi

Drama Tragedy

4.5  

VanyA V@idehi

Drama Tragedy

अनल अगन सी हृदय में

अनल अगन सी हृदय में

3 mins
27



एक छुपी चाह सी दिल में है दबी हुई, 

और मिलती थाह किसी को तक नहीं।

 

लगन रही है हमेशा जिनमें मिलन की 

पर निर्वाह करने की हुलस तक नहीं।

 

दिल तोड़कर भी जो करके कहते हैं 

उदास होना और बिलकुल रोना नहीं।

 

दर्द दबाकर रखा है दफन सीने में 

और उन्हें कराह भी करना तक नहीं.


 जीने की सरल सुगम राह भी वही है 

मगर हमराह हमेशा बनता तक नहीं।




एक छुपी चाह सी दिल में है दबी हुई, 

और मिलती थाह किसी को तक नहीं।

 

लगन रही है हमेशा जिनमें मिलन की 

पर निर्वाह करने की हुलस तक नहीं।

 

दिल तोड़कर भी जो करके कहते हैं 

उदास होना और बिलकुल रोना नहीं।

 

दर्द दबाकर रखा है दफन सीने में 

और उन्हें कराह भी करना तक नहीं.


 जीने की सरल सुगम राह भी वही है 

मगर हमराह हमेशा बनता तक नहीं।


अजब सी है मन की अनल अगन सी 

और हृदय से उठती धाह तक नहीं।


 मझधार में है डगमगाती हुई ये नाव 

और इसे खेने को मल्लाह तक नहीं।




एक छुपी चाह सी दिल में है दबी हुई, 

और मिलती थाह किसी को तक नहीं।

 

लगन रही है हमेशा जिनमें मिलन की 

पर निर्वाह करने की हुलस तक नहीं।

 

दिल तोड़कर भी जो करके कहते हैं 

उदास होना और बिलकुल रोना नहीं।

 

दर्द दबाकर रखा है दफन सीने में 

और उन्हें कराह भी करना तक नहीं.


 जीने की सरल सुगम राह भी वही है 

मगर हमराह हमेशा बनता तक नहीं।


अजब सी है मन की अनल अगन सी 

और हृदय से उठती धाह तक नहीं।


 मझधार में है डगमगाती हुई ये नाव 

और इसे खेने को मल्लाह तक नहीं।


नदी सी कल-कल पर प्रवाह ही नहीं

जाऊँ कहाँ बता कहीं पनाह तक नहीं। 



अजब सी है मन की अनल अगन सी 

और हृदय से उठती धाह तक नहीं।


 मझधार में है डगमगाती हुई ये नाव 

और इसे खेने को मल्लाह तक नहीं।


नदी सी कल-कल पर प्रवाह ही नहीं

जाऊँ कहाँ बता कहीं पनाह तक नहीं। 




एक

छुपी चाह सी दिल में है दबी हुई, 

और मिलती थाह किसी को तक नहीं।

 

लगन रही है हमेशा जिनमें मिलन की 

पर निर्वाह करने की हुलस तक नहीं।

 

दिल तोड़कर भी जो करके कहते हैं 

उदास होना और बिलकुल रोना नहीं।

 

दर्द दबाकर रखा है दफन सीने में 

और उन्हें कराह भी करना तक नहीं.


 जीने की सरल सुगम राह भी वही है 

मगर हमराह हमेशा बनता तक नहीं।




एक छुपी चाह सी दिल में है दबी हुई, 

और मिलती थाह किसी को तक नहीं।

 

लगन रही है हमेशा जिनमें मिलन की 

पर निर्वाह करने की हुलस तक नहीं।

 

दिल तोड़कर भी जो करके कहते हैं 

उदास होना और बिलकुल रोना नहीं।

 

दर्द दबाकर रखा है दफन सीने में 

और उन्हें कराह भी करना तक नहीं.


 जीने की सरल सुगम राह भी वही है 

मगर हमराह हमेशा बनता तक नहीं।


अजब सी है मन की अनल अगन सी 

और हृदय से उठती धाह तक नहीं।


 मझधार में है डगमगाती हुई ये नाव 

और इसे खेने को मल्लाह तक नहीं।




एक छुपी चाह सी दिल में है दबी हुई, 

और मिलती थाह किसी को तक नहीं।

 

लगन रही है हमेशा जिनमें मिलन की 

पर निर्वाह करने की हुलस तक नहीं।

 

दिल तोड़कर भी जो करके कहते हैं 

उदास होना और बिलकुल रोना नहीं।

 

दर्द दबाकर रखा है दफन सीने में 

और उन्हें कराह भी करना तक नहीं.


 जीने की सरल सुगम राह भी वही है 

मगर हमराह हमेशा बनता तक नहीं।


अजब सी है मन की अनल अगन सी 

और हृदय से उठती धाह तक नहीं।


 मझधार में है डगमगाती हुई ये नाव 

और इसे खेने को मल्लाह तक नहीं।


नदी सी कल-कल पर प्रवाह ही नहीं

जाऊँ कहाँ बता कहीं पनाह तक नहीं। 



अजब सी है मन की अनल अगन सी 

और हृदय से उठती धाह तक नहीं।


 मझधार में है डगमगाती हुई ये नाव 

और इसे खेने को मल्लाह तक नहीं।


नदी सी कल-कल पर प्रवाह ही नहीं

जाऊँ कहाँ बता कहीं पनाह तक नहीं। 







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