झुलसते ख्वाबों का कारवां
झुलसते ख्वाबों का कारवां
दिल के अफ़साने हो रहे है रफ्ता रफ्ता जिंदगी से परे है,
मिटा ना सकते हैं उन लम्हों को जो दिल पर डाका डाले है।
वक़्त के कसौटी पर खरा उतरने के लिए मांग करें है,
नेस्तनाबूद हो रही है जिंदगी के अफसाने ये क्या करें है।
ख्वाहिशों के दामन थामे इश्क़ को अब ये रुसवा करे है,
फु़रकत के लम्हें वस्ल-ए-यार को दिल में लिए आहें भरे हैं।
खो गई है मोहब्बत कहीं, दिल में आज ग़म ही ग़म भरे हैं,
जल रही है यादों का समा, हाथ से वक्त हो रहा रेत से परे है।
कभी पहनाया था दिल का तख़्तों ताज, वो नज़रें फेरें है,
ख़ाक़ हो रही दिल की कलियां, हाथ में बस राख़ भरे हैं।
सीने में बस झुलसते हुए ख़्वाबों का कारवां लेकर चले हैं,
नासाज़ दिल में अब न कोई मलाल न कोई शिकवे पले है।