पापा
पापा
हज़ारों गम की पोटली से वो झर-झर थे,
पर हम सुखों की टोकरी से भर-भर थे।
हर हाथ और जेब खाली थी उनकी,
पर हमारी हर जेब भरी-भरी सी थी।
सब चमकीले सितारे फीके से थे उनके,
पर हमारे सितारे रोशनी से भरे-भरे से थे।
हर कोने से दिल उनका सूखा-सूखा सा था,
पर हमारे दिल में मिठास का हर झरोखा था।
हर रूह बेजान सी थी उनकी,
पर हमारी रूह को उड़ने ही नहीं दिया था।
जीवन के वन में वनवास में थे वो
पर हम हमेशा अपने आवास में थे।
एक पिता की सच्चाई है ये कि
आज भी वो करिश्मा है हमारे लिए।
फिर भी हम उनके लिए
एक फरिश्ता है खुदा का।।
