"नापाक पाक"
"नापाक पाक"


बन्द कर दिया,पाक का हुक्का-पानी
याद दिला दी,पाक को उसकी नानी
क्या पाक भूल गया है,पुरानी कहानी
कैसे हिन्द के शेरों दी,हार खानदानी
सिन्धु जल समझौते की बंद की वाणी
इससे तरस जायेगा पाक बूंद-बूंद पानी
दूतावास साथ,बंद की चेक पोस्ट सारी
बाहर जाने को कहा है,हर पाकिस्तानी
आर्थिक सर्जिकल स्ट्राइक,थी हिंदुस्तानी
आगे ओर हमला होगा,भारत का तूफानी
चुन-चुनकर मारेंगे एक-एक आतंकवादी
जितना चाहे छुप ले,चूहे अपनी चूहेदानी
ध्यान रहे,दूसरों के लिए गड्ढ़ा खोदता है
एकदिन वो खुद ही उसके अंदर गिरता है
आतंक को पनाह देनेवाले,सुने मेरी जुबानी
खुद डसे जाते,जो पिलाते सांपों को दूधपानी
गीदड़ पाक क्या ललकारेगा?हम हिंदुस्तानी
भारत मे तो बच्चा-बच्चा शेर है,खानदानी
मत कर नापाक देश इतनी ज्यादा शैतानी
अन्यथा कीमत चुकानी पड़ेगी,आसमानी
तूने मजहबी हमला कर,कोशिश की कायरानी
यहां हिंदू,मुस्लिम बाद में,सब पहले हिंदुस्तानी
जब बात आ जाती है,मातृभूमि पर कुर्बानी
सब मतभेद भूल,शत्रु को याद दिलाते नानी
दिल से विजय
विजय कुमार पाराशर-"साखी"