कभी बिकना फिर से तो...
कभी बिकना फिर से तो...
कभी बिकना फिर से तो बताना!
इस बार हम भी तुम्हारी बोली लगाएंगे।
तुम्हें रखेंगे आलीशान महल में सजाकर,
पर अब दिल में न बसाएंगे!
आजकल महंगे हो गए हो,
आम लोगों की तरह नहीं रहते,
पर हमने देखा है,
तुम्हारे दिन ढलते और तुम्हें रंग बदलते!
फिर भी!
मेरी नजर में,
तुम सस्ते बिक गए,
किसी का कीमती दिल तोड़,
चंद कागज की बेजान नोटों में छुप गए!
अबकी!
ये कागज के कपड़े बेपर्दा हो जाएं तो आना!
अपनी मुंह मांगी रकम बताना!
हम उससे ज्यादा मोल चुकाएंगे!
पर, इतना तो तय है कि,
तुम्हें दिल में न बसाएंगे!!
