STORYMIRROR

VanyA V@idehi

Abstract

3  

VanyA V@idehi

Abstract

लम्हा हाथ से फिसलता है

लम्हा हाथ से फिसलता है

1 min
131


मेरा मन तन्हा तन्हा भटकता है,

तिनका आँखों में ही खटकता है।


ज़ब इश्क की हुस्न से हुई यारी,

तो ये पागल दिल बड़ा मचलता है।


उनके रुखसती की खबर सुनकर,

बड़ी मुश्किल से ये लम्हा गुजरता है।


देखा देखी बड़े पेड़ों के गिर जाने से,

ये मौसम भी पल पल में बदलता है।


ज़रा संभल संभलकर कदम रखो,

लम्हा हाथों में आ आकर फिसलता है।



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract