मुझे एक कहानी लिखनी है
मुझे एक कहानी लिखनी है
कबड्डी खेलते उन बच्चों के
खिलखिलाहटों को सहेजना है
और उस बुढ़िया के झुर्रियों से
बटोरनी है यादें....
माँ की लोरी को पकड़ना है
तकिये के नीचे रखने के लिए,
और पिया की बाहों का झूला
बनाना है सिमट जाने के लिए....
चादर की सिलवटों में
दुबकी अंगड़ाई ढूंढनी है,
और रसोई से
बासमती की महक...
पेड़ पर बैठी मैना की
चहक चाहिए,
और सूरज से थोड़ी
नरम सी गर्मी...
सर्दी की रातों में मुँह से निकली
भाप को कैद करना है
और गुब्बारों से
छीनना है चटक रंग...
रात से उधार कुछ तारे चाहिए
और अपनी आँखों की
ठंडक के लिए सुबह से ओस...
हवा से मांगनी है गुलाब की खुशबू,
और बारिश से गुलमोहर का रंग...
धूल से अभ्रक के कुछ कण मांगने हैं
और पतझड से एक पीला पत्ता...
बच्चो के आंसू में छुपी
माँ की एक कसक चाहिए
और गाय के दूध की मिठास..
वक़्त से कुछ पन्ने भी उधार मांगने हैं
क्योंकि मुझे एक कहानी लिखनी है...।