कर्तव्य पथ
कर्तव्य पथ
हम चल रहे हैं कर्तव्य पथ पर,
सारे कष्टों को सह सह कर ,
उम्मीद लगाए चलते हैं जीवन में,
कभी हमारा सवेरा भी होगा,।
झेल रहे है ,ताने बाने दुनिया के,
सब कुछ सुनते हैं बहरा बन के ,
फिर भी दिल नहीं भरता लोगों का,
ठेलते रहते हैं दल दल में ,।
राहों में कांटे बिछाए रहते हैं,
सब अपने बन के छाए रहते हैं,
मन की टीस ना जाने कोई ,
हर क्षण सभी कोसे रहते हैं,।
