क्षण में जिंदगी को निखरते देखा। क्षण में जिंदगी को निखरते देखा।
परिभाषित करता हुआ मेरा प्रेम प्रसंग, मात्र इतना ही रहा। परिभाषित करता हुआ मेरा प्रेम प्रसंग, मात्र इतना ही रहा।
ऐसे मुझसे छूट गया, ऐसे मुझसे छूट गया। ऐसे मुझसे छूट गया, ऐसे मुझसे छूट गया।
बता नहीं सकती तुम्हें इसलिए रख रही हूँ सहेज कर ये राज फिर। बता नहीं सकती तुम्हें इसलिए रख रही हूँ सहेज कर ये राज फिर।
आप नहीं अब जाना दूर वरना मैं नहीं रह पाऊँगी ! आप नहीं अब जाना दूर वरना मैं नहीं रह पाऊँगी !
हकीकत कभी बदलती नहीं। हकीकत कभी बदलती नहीं।