क्षण में जिंदगी
क्षण में जिंदगी
क्षण में जिंदगी को बदलते देखा
कभी हँसते कभी रोते देखा
जिंदगी भर जिंदगी को देखा ही मैंने
कभी मन कभी दिमाग कभी आँखों से देखा।
देखा जिंदगी को एहसासों से देखा
हाँ देखा कभी समझते हुए
और देखा कभी पलटते हुए
पर जब भी देखा बड़ी आस से देखा।
कभी अनहोनी से सहमा देखा
कभी चमत्कार से भ्रमा देखा
कभी चलते कभी दौड़ते देखा
कभी जो रुक जाता तो ढलते देखा
क्षण में जिंदगी को बदलते देखा।
कभी देखा निराश होके
कभी देखा विश्वास खोके
पर कहीं अंतस में
यह अडिग जिंदगी दिखती
कोई अलग राह बुनते
इक नया विश्वास भर के।
दिखाती जिंदगी
जीवन का उलझा संग्राम
एक सरल जीवन का
दिखावटी ताम-झाम
देखा जीवन को ऐसे
जैसे शांत शाम।
देखे कइयों के
जीवन का भी पुर्नविराम
क्षण में देखा
जिंदगी का बदलता अभिराम।
कभी जिंदगी को दीयों से सजते
कभी रंगो में उछलते देखा
देखा जिंदगी को
त्योहारों से सजते देखा।
क्षण में जिंदगी को ठगते देखा
किसी को जीवन की
गलियों में खेलते देखा
तो किसी को
उसकी कड़ी धूप झेलते देखा।
किसी को जिंदगी की
खुशनुमा बारिश में भीगते देखा
क्षण में जिंदगी को निखरते देखा।।
