अपने पास बैठ के देखो
अपने पास बैठ के देखो
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"हर ख्वाब मुकम्मल होती है
उन ख्वाबों को खुदा से जोड़ के देखो
एक बार अपनी हथेलियों को जोड़ के देखो
बैठ के भी तुम एक लंबी दूरी तय कर सकते हो
एक बार अपने पास बैठा के देखो
देखो दूर तक फैले चिन्मय आकाश को
एक अदभुत प्रकाश को...
आज तुम कितना भी दौड़ लो
उम्र के एक पड़ाव पर तो बैठेगे ही
उस पड़ाव को खुशनुमा बनाने के लिए
सिर्फ दौड़ के नहीं, चिर शांति में बैठा के भी देखो।