मौन
मौन
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जब परिस्थिति कमजोर कर देती है
तो शब्द भी खामोश हो जाते हैं।
ये उदास से शब्द मौन कर जाते हैं
पर ये मौन आंतरिक उल्लास सा होता है।
उफनती नदी में जैसे संयम के बांध सा होता है ।
ये मौन तुम्हारे खुद से इक ऐलान सा होता है।
बुझते मन में नई जान सा होता है।
किसी बर्फीली चोटी पर जैसे दुर्गम स्थान सा होता है।
हृदय में निरन्तर जलते लौ के स्वाभिमान सा होता है।
मौन तो साधना के प्राण सा होता है।
इक अद्भुत शांति के अहसास सा होता है।
मौन भगवान शिव के ध्यान सा होता है।