ऐसा बचपन में ही होता है क्या
ऐसा बचपन में ही होता है क्या
"वो खिलखिलाती हंसी
वो मासूम चमकती आंखे
वो अलहड़पन
वो प्रकृति का हर अणु जीवंत
ऐसा सिर्फ बचपन में ही होता है क्या
बड़े होकर इंसान सिर्फ खोता ही है क्या
वो हर दिन इतवार वो उत्सव और त्योहार
वो हर किसी का और हर किसी से प्यार
ऐसा सिर्फ बचपन में ही होता है क्या
वो डराती रात में तारो का साथ
नन्ही सी गुड़िया की ढेर सारी बात
वो कल्पनाओं को सच समझना
वो हर कोई अपना
ऐसा सिर्फ बचपन में ही होता है क्या
बड़े होकर इंसान सिर्फ खोता ही है क्या
वो बेबाक सा जीना वो गलतियों को भूल जाना
और दुखों का पास ना आना
ऐसा सिर्फ बचपन में होता है क्या
बड़े होकार इंसान सिर्फ खोता ही है क्या।"