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Annapurna Mishra

Tragedy

4  

Annapurna Mishra

Tragedy

किस लिए

किस लिए

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आज रात मैं जगा पर जगा किस लिए 

मुझे मिली सजा पर सजा किस लिए.. 

जिया है तुमने जिंदगी को अकड़ में 

तो ये झुकाव किस लिए

बिना किसी जख्म के ये घाव किस लिए

हंसते हंसते रुक जाता हूँ 

कि ना जाने वो कैसा होगा 

फिर भी मन में पछतावा किस लिए 

झूठ-मूठ ये हसने का दिखावा किसलिए 

जब रोशनी के लिए दौड़ रहा हूँ 

तो पिछड़े अँधेरो से ये आवाज़ किस लिए 

जब कोई गीत ही नहीं है तो अब ये साज किस लिए .. 

पिछड़े अंधेरो से ये आवाज किस लिए ... 

अभी तक तो कुछ भूला भी नहीं हूं 

तो फिर ये नई याद्दास्त किस लिए ... 

अब आँखे जल रहीं हैं मैं रोना चाहता हूँ 

फ़िर ये रुमाल किस लिए ... 

नफ़रत है खुद से इतना की मैं अपना सामना भी नहीं करता 

तो फिर ये आईने की दीवार किस लिए।


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