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Amit Dwivedi Ram

Tragedy

4.8  

Amit Dwivedi Ram

Tragedy

जिन्दगी का तमाशा

जिन्दगी का तमाशा

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जिन्दगी भी करती अजब तमाशा है,

किसी को देती आशा तो किसी को निराशा है,

कोई अमीर होकर भी सुख को तरसता है,

कोई गरीब होकर भी चैन की नींद सोता है।


रहते है जो भाई बचपन में एक साथ,

बड़े होकर धन के लिए वो लड़ते है,

आनी है मौत ये जानते हुए भी,

जिंदगी का साथ छूटने से डरते हैं।


रिश्ते में भी हो गया मिलावट है

मुँह से तो सब अपने हैं

पर दिल से करते बगावत हैं,

किसी को अगले पल की चिंता है,

कोई अपनी करनी पर शर्मिंदा है।


कोई कहता दिखते नहीं भगवन,

कोई कहते बेजान सी मूरत है,

लव्ज-ए-अमित" है मन की आँखों से देखो,

दिल में छिपी एक भोली सी सूरत है।


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