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Amit Dwivedi Ram

Romance

4  

Amit Dwivedi Ram

Romance

आशिक का जनाजा

आशिक का जनाजा

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किया मोहब्बत तो मिला गम इस बेरहम जमानें में,

सफर उस मरहूम की जन्नत का हसीन बना दो यारों।


मोहब्बत में गम का मारा है,झूठी दुनियाँ से हारा है,

साथ उसका यहीं तक था घर से उसको विदा दो यारों।


बेवफा से वफा निभानें की मिली है सजा आशिक को,

गहरी नींद में सोया है कोई इसको चैन दिला दो यारों।


ऐ "अमित" तूने भी तो खाई है ठोकर मोहब्बत में,

लोगों को समझा दे कि मोहब्बत को ठुकरा दो यारों।


मोहब्बत करनी है तो दिल को बना लो पत्थर का,

दिल है शीशे का तो मत आजमाना प्यार को यारों।


तकलीफ ना हो रास्ते में कहीं इस दिलदार को,

आशिक का जनाजा है धूमधाम से निकालो यारों।



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