इन्सानियत
इन्सानियत
कोई कहे राम कोई रहमान
कोई मनाये दीवाली कोई रमजान
जाति धर्म का भेद करे,रहे इंसानियत से अंजान,
हाथ भी दो,पैर भी दो,रंग भी खून का एक समान,
हिन्दू मुस्लिम सिक्ख ईसाई सब अंतर्यामी की संतान,
मिट्टी का एक खिलौना तू मत कर इतना गुमान,
मिटटी से बना है तू,है एक तिनके के समान,
कहे अमित मिल जाये रहमत कर ले तू गुणगान,
जाति धर्म का भेद मिटाकर बन जाओ इंसान,
भाईचारे को बढ़ाकर बढ़ाओ हिंदुस्तान का मान,
कोई कहे राम कोई रहमान
कोई मनाये दीवाली कोई रमजान।
