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Vinod Kumar Mishra

Tragedy

5.0  

Vinod Kumar Mishra

Tragedy

संबंध अनोखा

संबंध अनोखा

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धरती से अंबर तक लहराया

पाँव जमीं से चंदा पहुंचाया।


दिन-दिन निज प्रगति पर इतराया

संबंध प्रकृति से अपना भुलाया।


साँसों की डोरी पर कैंची चलाया

वृक्ष-पूजा करना भुलाया।


पानी का अपव्यय भी खूब बढ़ाया

जल संरक्षण करना भुलाया।


धरती को माता कह दुलराया

फिर कीटनाशक जहर भी पिलाया।


ई-कचरे की ढेरी लगाया

प्लास्टिक नियंत्रण करना भुलाया।


ऋषि मुनियों की खिल्ली उड़ाया

नैतिक आचरण भी उसने भुलाया।


वसुधैव कुटुम्बकम जिसने गाया

भाई को दुश्मन उसने बनाया।


मानवता का राग अलापा

फिर परमाणु बम भी उसने बनाया।


विज्ञान जिसके लिए वरदान

वही प्रौद्योगिकी महिमा भुलाया।


मानव-पर्यावरण संबंध अनोखा

'वीनू' इसे कभी न भुलाया।


मानवता को सींच ले मानव

जगत में तू सर्वश्रेष्ठ कहलाया।


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