सर्वधर्म समभाव
सर्वधर्म समभाव
धर्म अनेकों इस दुनिया में
सबकी अपनी अति महिमा है
हिंदू जैन यहूदी पारसी
बौद्ध ईसाई इस्लाम सिख हैं।
मानवता को पुष्पित करते
धर्म सभी अतिशय न्यारे हैं
जिसे पल्लवित करते अनुयायी
मानवता को सींच रहे हैं।
भारत ऐसा देश सलोना
सर्वधर्म समभाव जहाँ है
हिंदू संस्कृति का पोषक जो
मानवता के वट वृक्ष गढ़े हैं।
किंतु, कुकर्मी देख न पाते
इसीलिए षडयंत्र किये हैं
सत्य अहिंसा परमोधर्मः पर
कभी-कभी आघात किये हैं।
जिससे हिंदुस्तान हुआ विखण्डित
और विदेशी राज किये हैं
बहू-बेटियों की इज्ज़त सँग
पापी कितने पाप किये हैं।
कालचक्र ने बदल दी करवट
नेतृत्व नरेंद्र को सौंप दिये हैं
शांतिदूत संग रौद्ररूप जो
उचित समय दिखला देते हैं।
गर्वित हो हम भारतवासी
सब धर्मों का आदर करते हैं
प्राचीन धर्म हिंंदू महिमा
मानवता जग फैलाते हैं।
ऊँच-नीच का भेद न करते
सबको गले लगा लेते हैं
माफ न आतंकी को करते
अब ऐसी नियति बना रखे हैं।
सर्वधर्म समभाव रह सकें
ऐसी विश्व कल्पना करते हैं
मानवता सर्वोपरि कर 'वीनू'
हर धर्म का आदर करते हैं।