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minni mishra

Tragedy

3  

minni mishra

Tragedy

बदहाल बचपन

बदहाल बचपन

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है अन्जान सड़क और दुरूह जीवन

ये अबोध बालक, सिसक रहा बचपन

न सिरहाना है न बिछौना है

न खाना है न खिलौना है,

फुटपाथ बन गया इसका,

नया आशियाना है।


देखो, किस कदर बदहाल है जीवन

भूख की मार से शर्मसार है जीवन,

दो वक्त की रोटी ने इसे लाचार बना दिया

पेट की आग ने इसका सपना जला दिया।


जिस हाथ में होता

अभी कलम और किताब

उस हाथ को सहना पड़ रहा है

जूते- चप्पलों का भार।


'मिड डे मिल'

यहाँ व्यर्थ दिख रहा है

'बाल श्रम कानून' का

जमकर धज्जियां उड़ रहा है।


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