हम कितने भूखे हैं!
हम कितने भूखे हैं!
क्या खाना ?किसको खाना?
किसलिए खाना ?
कब खाना? कितना खाना ?
वो, आज तक ...
हमने नहीं जाना ।
न तन की भूख घटती ,
न मन की भूख मिटती,
जिंदगी भर खाते ही गुजरा,
फिर भी भूख ..भूख
चिल्लाते ही हमारा समय बीता!
हाँ, सच में ...
हम बहुत भूखे हैं।