STORYMIRROR

minni mishra

Romance Tragedy

3  

minni mishra

Romance Tragedy

दर्द

दर्द

1 min
121


जला डाली उस घोंसले को

जिसमें वर्षों साथ बिताया 

पर, बिखरे राख पर 

जब नज़र गई ...

झट समेट कर उठा लायी

मैं उसे नम आँखों से 

फिर ताबीज़ बनाया... 

सीने से लगाया 

आखिर, ये दर्द ...

अपना ही...किसी नासमझ 

 अपनों का दिया है !

          


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance