तुम और मैं
तुम और मैं
तुम नीर हो...
मैं क्षीर हूँ...
तुम आकाश...
मैं वसुंधरा हूँ...।
तुम ताप हो...
मैं शीतल हूँ....
तुम सृष्टि हो ...
मैं पूरक हूँ....।
तुम प्यास हो....
मैं सरिता हूँ....
तुम जीवन हो...
मैं सुधा हूँ.....।
तुम ऋचा हो...
मैं गायन हूँ....
तुम निराकार...
मैं साकार हूँ...।
तुम विरह ...
मैं वेदना हूँ....
तुम्हारे अंतस् की ...
मैं कल्पना हूँ ...।