कहीं मेरी याद न आ जाए
कहीं मेरी याद न आ जाए
1 min
204
तुम्हें बारिश मेरी याद दिलाती है?
चलो मैं भीगना छोड़ दूंगी
हवाओं की सरसराहट मेरी आहट देती है ?
चलो मैं अपना छनछन करता पायल खोल दूंगी
कहीं कोई मीठी धुन कानों में मेरी गूंज सुनाती है?
चलो फिर मैं गुनगुनाना छोड़ दूंगी
कभी कोई निश्छल खेलते बच्चे मेरी याद तो नहीं दिलाते?
ठीक है तो मै अपनी चंचलता और बचपना छोड़ दूंगी
कहीं सागर की गहराई में मेरी आंखें तो नजर नहीं आती?
चलो मैं अपनी आंखें मूंद लूंगी..
पर पता है मैं ऐसा क्यूं करुंगी ?
क्यूंकि तुम्हें मेरी याद न आए... "