कहने को दो-दो घर मेरे, फिर भी मैं पराई हूँ ! कहने को दो-दो घर मेरे, फिर भी मैं पराई हूँ !
आदतन उसका यूँ टकरा जाना याद आता रहा। आदतन उसका यूँ टकरा जाना याद आता रहा।
वह ख़ुदा भी रो रोकर खून बहा रहा है फिर भी लोग कह रहे है ये तो अच्छाई की नाव है वह ख़ुदा भी रो रोकर खून बहा रहा है फिर भी लोग कह रहे है ये तो अच्छाई की न...
वक़्त ने धीरे-धीरे भर दिया उस घाव को। नजरें फिर ताकने लगी है अनजानी राह को। वक़्त ने धीरे-धीरे भर दिया उस घाव को। नजरें फिर ताकने लगी है अनजानी राह को।
मोहब्बत करिश्मा है लगा जब से सीने लगा हूँ बदनाम होने लगा हूँ जब से उसे मिलने लगा हूँ मोहब्बत करिश्मा है लगा जब से सीने लगा हूँ बदनाम होने लगा हूँ जब स...
यदि बात छोटी होती तो सहन हो जाती। यदि बात छोटी होती तो सहन हो जाती।