पीने लगा हूँ

पीने लगा हूँ

1 min
278


जब से पीने लगा हूँ

असल में जीने लगा हूँ


मोहब्बत करिश्मा है

लगा जब से सीने लगा हूँ


बदनाम होने लगा हूँ

जब से उसे मिलने लगा हूँ


खरीदने लगे महंगाई में भी

जब से घाव बेचने लगा हूँ


जानता हूँ तुम न मिलोगे, खुदा

तुम्हें फिर भी चाहने लगा हूँ



Rate this content
Log in

More hindi poem from અશ્ક રેશમિયા