ये कविता हर इंसान के लिए है, महज़ लड़कियों के लिए नहीं, हर उस इंसान के लिए, जो सांस ले रहा है, जी रहा ... ये कविता हर इंसान के लिए है, महज़ लड़कियों के लिए नहीं, हर उस इंसान के लिए, जो सां...
रूपांतरित कर देना का सब कुछ खुद सा सब कुछ स्वीकार करते हुये। रूपांतरित कर देना का सब कुछ खुद सा सब कुछ स्वीकार करते हुये।
कहने को दो-दो घर मेरे, फिर भी मैं पराई हूँ ! कहने को दो-दो घर मेरे, फिर भी मैं पराई हूँ !
कुछ नहीं, बहुत कुछ अनोखा है तुझमें। कुछ नहीं, बहुत कुछ अनोखा है तुझमें।
याद है मुझे वो दिन आज भी, तुम्हारे वो हाथों की महंदी, वो हवा का तेज़ चलना, ज़ुल्फो क याद है मुझे वो दिन आज भी, तुम्हारे वो हाथों की महंदी, वो हवा का तेज़ चलना,...
शेष सब तो ठीक है, बचा रहा हुड़ दंग। शेष सब तो ठीक है, बचा रहा हुड़ दंग।