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Shobhit Trivedi

Abstract

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Shobhit Trivedi

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कुछ तो अनोखा है तुझमें

कुछ तो अनोखा है तुझमें

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तेरा यूं होठ मिला कर मुस्कुराना,

आंख झुका कर देख जाना,

दूर से मुझको छू जाना,

कुछ अनोखा है तुझमें।


तेरा चुप हो कर यूं बोल जाना,

शब्दों को शायर सा तोल जाना,

इश्क के लिबास में

यूं भगवान सा बोल जाना,

कुछ तो अनोखा है तुझमें।


तेरा आंखो में सब बोल जाना,

झूठ में सच को घोल जाना,

अपने ईश्वर (माता - पिता) के लिए,

सांसों सा रिश्ता तोड़ जाना।

कुछ नहीं, बहुत कुछ अनोखा है तुझमें।


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