कुछ पल उनके साथ
कुछ पल उनके साथ
याद है मुझे वो दिन आज भी,
तुम्हारे वो हाथों की महंदी,
वो हवा का तेज़ चलना,
ज़ुल्फो का जर - जर बिखरना,
फिर बहाने से मेरा रुक जाना,
और तेरी बालों को संवारना,
मोमोज़ की तारीफ कर तुम्हें अपने हाथो से खिलाना,
तेरा वो तीखा लग कर, मेरा वो पानी पिलाना,
फिर तेरे माथे की ओस की बूंदों हाथो से हटाना,
अलग होने के डर से मेरे गले लग जाना,
चाय के लिए वो तेरा क्यूट सा चहरा बनाना,
बैग को ले कर तुम्हारे महंदी वाले हाथों को छुपाना,
फिर वो मुझे महंदी कि खुशबू से चिढाना,
तुम्हे अपने हाथों से भुट्टा खिलाना,
इन आकस्मिक पलों का kilo bite जैसे पूरी जिदंगी भर जाना,
सब याद है मुझे,
के बस चाहत ही मेरी इतनी थी, एक बार महंदी में मेरा नाम लिख जाना।
फिर वो ही खुशबू, वो ही मोमोस, वो ही भुट्टा, वो ही हवा,
उस दिन देखना मेरा भी रतन टाटा बन जाना।