उन्नाव गाँव
उन्नाव गाँव
जिस्म पर मेरे एक नहीं हज़ार घाव है
लोग कहते हैं यह वहशी गाँव उन्नाव है
सच को दबाने के लिए
लोग बिकते है बिना भाव है
वह ख़ुदा भी रो रोकर खून बहा रहा है
फिर भी लोग कह रहे है ये तो
अच्छाई की नाव है
हे साखी यहां इंसान नहीं जानवर से
गये गुजरे लोग है
तू व्यर्थ ही कर रही मुर्दो को जगाने
का ताव है
तेरी लड़ाई आज इंसानों से नहीं वहशी
गिद्दों से है वो पैसों से कर रहे है एक
नहीं हज़ारों अबलाओं पर घाव है