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Bhaskar sharma

Tragedy

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Bhaskar sharma

Tragedy

आज हिंदी, हिंदी सुनने आयी है

आज हिंदी, हिंदी सुनने आयी है

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आज की सुबह जैसे ही आयी है

 एक मेहमान साथ लेकर आई है 

लगता है आज फिर हिंदी

हिंदी सुनने आयी है। 


हिंदी अपना दर्द कुछ इस तरह सुनाती है

कि सुनते हुए आंखें नम हो जाती है

हर साल हिंदी दिवस मनाते हैं पर

अंग्रेजी कहीं नहीं जाती है।

 

क्यों आज हम हिंदी बोलने में संकोच करते हैं

क्यों हिंदी छोड़ अंग्रेजी को गले लगाते हैं 

एक समय था जब हमारे देश में

हिंदी का बोलबाला था।

 

माँ की आवाज में भी सुबह का उजाला था 

वही माँ आज पराये की तरह घर आई है

आज फिर हिंदी, हिंदी सुनने आयी है। 


आते ही लोगों के दिलों में जगह बनाई है 

आज तो लता के गानों की

आवाज भी घर मे आयी है।


आज मम्मी ने भी कॉफ़ी की जगह चाय बनाई है

क्या सच मे हिंदी आयी है

या सिर्फ एक रस्म निभाई है

हाँ इसी हिन्दी से हमने नज़रें चुराई है।

 

इसी को बोलने में हमें शर्म आयी है 

वही हिंदी, आज फिर हिंदी सुनने आयी है।


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