Bhaskar sharma

Others

5.0  

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है मानसून

है मानसून

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इस बार भी बाढ़ ने किया परेशान 

घर घर बना श्मशान

तुम क्यो बन रहे हो हैवान 

हे मानसून अब तुम्हारा स्वागत करने लायक

नही हैं हम इंसान ।।


नदियों की जमीन पे खड़े किए मकान 

पेड़ो को काट जंगल किए वीरान 

हे मानसून अब तुम्हारा स्वागत करने लायक

नही हैं हम इंसान ।।


मैं हूँ बहुत हैरान परेशान

हमारा सिस्टम नही देता ध्यान 

तालाब बन गए हैं मैदान 

हर बार बाढ़ बन जाती है हैवान 

हे मानसून अब तुम्हारा स्वागत करने लायक

नहीं है हम इंसान ।। 


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