STORYMIRROR

Bhaskar sharma

Others

3  

Bhaskar sharma

Others

है मानसून

है मानसून

1 min
334

इस बार भी बाढ़ ने किया परेशान 

घर घर बना श्मशान

तुम क्यो बन रहे हो हैवान 

हे मानसून अब तुम्हारा स्वागत करने लायक

नही हैं हम इंसान ।।


नदियों की जमीन पे खड़े किए मकान 

पेड़ो को काट जंगल किए वीरान 

हे मानसून अब तुम्हारा स्वागत करने लायक

नही हैं हम इंसान ।।


मैं हूँ बहुत हैरान परेशान

हमारा सिस्टम नही देता ध्यान 

तालाब बन गए हैं मैदान 

हर बार बाढ़ बन जाती है हैवान 

हे मानसून अब तुम्हारा स्वागत करने लायक

नहीं है हम इंसान ।। 


Rate this content
Log in