मैं नालायक नहीं...!!!
मैं नालायक नहीं...!!!
आज जो मुझ पर
गुज़रते वक्त का
क़हर बरपा रहे हैं 'ऊँचाई पर बैठे'
वो चुनिंदे लोग,
वो तो जानते भी नहीं
कि मेरी
सच्चाई और ईमानदारी के
दावानल से
हरेक 'गलत' फैसले का
करारा 'जवाब' मिलेगा...!!!
वो ये जान लें कि
मैं नालायक न तो कभी था,
न आज नालायक हूँ
और न ही किसी 'सितमगर' को
मुझे 'नालायक' कहने या
मानने का हक़ दूँगा...!!!
हाँ, मुझमें आज भी
वो जज़्बा है कि
'छल-कपट' के
घोर अंधेरे को 'चीरकर'
मैं कल का वो
नया 'सवेरा' ला सकता हूँ,
जहाँ से मैं
अपना 'अस्तित्व'
पुनर्जीवित करने की
'सोच' ज़िंदा रख सकता हूँ।
आज बेशक़
मेरा 'दौर'
मेरी कल्पना से भी
परे है,
मगर फिर भी
मेरी 'आवाज़' में
वो 'दम' है
कि मैं
'कलम' को ही
अपना 'ब्रह्मास्त्र' बनाकर
'पाप की दकानदारी' को
नेस्तनाबूद कर सकता हूँ...!!!
किताबों में पढ़ा था :
"सत्यमेव जयते"...
मगर मेरा एक सवाल है
कि सत्य की
जीत होते-होते
अगर ज़िंदगी की
शाम ही ढल जाए,
तो उन 'ख्वाबों-ख्वाहिशों' की
कब्र पे सच्चे इंसाफ का
पुष्प चढ़ाने का
क्या कोई मतलब रह जाएगा???
मैं ये सवाल
इसलिए कर रहा हूँ,
क्योंकि मैं
अब भी 'ज़िंदा' हूँ...!
और हाँ, 'ऊँचाई पर बैठे'
वो चुनिंदे लोग
ये भी देख लें कि
मैं नालायक न तो कभी था,
न मैं नालायक आज हूँ
और न ही आनेवाले कल को
मैं नालायक बन जाऊँगा...!
